Vice Chancellor’s Message


मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तपोस्थली, मंदाकिनी नदी के सुरम्य तट पर स्थित महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय भारतरत्न नानाजी देशमुख के शैक्षिक चिंतन और ग्रामीण नवजागरण के संकल्पों की जीवंत अभिव्यक्ति है। मध्य प्रदेश शासन द्वारा विशेष अधिनियम क्रमांक 09, 1991 के अंतर्गत 12 फरवरी 1991 को स्थापित यह विश्वविद्यालय ग्रामीण विश्वविद्यालय की परिकल्पना पर आधारित भारत का प्रथम विश्वविद्यालय है, जिसका बोध वाक्य है — ‘विश्वं ग्रामे प्रतिष्ठितम्’, तथा संकल्प ग्रामोदय से राष्ट्रोदय है।

प्रो. भरत मिश्रा

उत्कृष्टता की दिशा में सुदृढ़ कदम

गौरव का विषय है कि विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा A++ ग्रेड (ग्रेड प्वाइंट – 3.53) प्रदान किया गया है, जो हमारी शैक्षणिक गुणवत्ता, नवाचार, प्रशासनिक पारदर्शिता और सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह मान्यता विश्वविद्यालय की सुदृढ़ कार्य प्रणाली और निरंतर सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की स्वीकृति है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रभावी क्रियान्वयन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रांतिकारी प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है। पठन-पाठन की स्वतंत्रता, बहुविषयी शिक्षण, कौशल विकास के अवसर तथा राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप विद्यार्थी निर्माण — इन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए ग्रामोदय विश्वविद्यालय ने नीति के समस्त आयामों को आत्मसात कर उन्हें क्रियान्वित किया है।

विश्वविद्यालय में निम्न नवीन पाठ्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं—

  • एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (ITEP) के अंतर्गत चार वर्षीय पाठ्यक्रम (बीए-बीएड, बीएससी-बीएड, बीकॉम-बीएड)
  • विशेष बीएड एवं चार वर्षीय विशेष बीएड
  • एमएससी (कृषि)
  • इसके अतिरिक्त, सत्र 2025–26 से ‘एविएशन (Aviation)’ पाठ्यक्रम की शुरुआत की जा रही है, जो ग्रामीण युवाओं के लिए वैश्विक अवसरों के द्वार खोलेगा।

शिक्षण-संस्कार का समावेशी वातावरण

विश्वविद्यालय का हरा-भरा, स्वच्छ, शांत एवं प्लास्टिक-मुक्त परिसर अध्ययन के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करता है। सामाजिक मूल्य एवं उत्तरदायित्व विषय को समग्र शिक्षा का अनिवार्य अंग बनाकर विद्यार्थियों में संवेदनशीलता, नेतृत्व और नैतिक चेतना का विकास किया जा रहा है। ड्रेस कोड, दीक्षारंभ उत्सव, स्वास्थ्य शिविर, वृक्षारोपण, श्रम साधना, सिकल सेल एनीमिया की रोकथाम, ग्राम प्रवास एवं ग्रामोदय महोत्सव जैसे गतिविधियाँ विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एकीकृत प्रयास हैं।

नवाचार एवं राष्ट्रीय पहचान

विश्वविद्यालय की रचनात्मकता और नवाचारों को राष्ट्रीय मंचों पर विशेष पहचान मिली है:

  • संसद भवन में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर पर भाषण हेतु छात्रा का चयन
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ (29–30 जुलाई 2023) पर भारत मंडपम, नई दिल्ली में UGC द्वारा प्रदर्शनी में सहभागिता
  • दिल्ली कला उत्सव (16–18 दिसंबर 2023) में प्रस्तुति हेतु आमंत्रण
  • दीक्षांत समारोह आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला (3 मई 2024) में नवाचारों की प्रस्तुति

यह उपलब्धियाँ विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय स्तर पर सशक्त उपस्थिति और उत्कृष्टता की दिशा में निरंतर बढ़ते कदम का प्रमाण हैं।

सामाजिक सरोकार एवं व्यापकता

मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम के अंतर्गत मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के सहयोग से संचालित पाठ्यक्रम वर्तमान में प्रदेश के सभी 313 विकासखंडों में सक्रिय है। यह विश्वविद्यालय की सामाजिक सहभागिता, कार्यक्षेत्र की व्यापकता और शासन के साथ प्रभावी समन्वय का परिचायक है। विश्वविद्यालय वंचित वर्गों के सशक्तिकरण, कौशल विकास, प्रमाणन और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु शासन का सक्रिय सहयोगी बनकर उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है।

ग्रामीण उन्नयन की प्रतिबद्धता

कृषि, प्रबंधन, अभियांत्रिकी, लोक विज्ञान, स्थानीय स्वशासन, लोक शिक्षा, कला एवं संस्कृति जैसे विषयों के माध्यम से विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक आवश्यकताओं के संतुलन के साथ कार्य कर रहा है। पुरातत्व, साहित्य, सामाजिक विज्ञान सहित सभी प्रमुख अकादमिक धाराएँ प्रभावी रूप से उपस्थित हैं।

हमारी समस्त गतिविधियों के केंद्र में विद्यार्थी है। हम नानाजी देशमुख  के आदर्शों और विकसित भारत के निर्माण के संकल्प के साथ, ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में कार्यरत हैं।

मध्यप्रदेश शासन के सतत सहयोग और मार्गदर्शन के लिए मैं अपनी हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करता हूँ, जिनके संरक्षण से यह विश्वविद्यालय आज एक राष्ट्रीय महत्त्व के प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में स्थापित हो सका है।

शुभकामनाओं सहित,
प्रो. भरत मिश्रा